नेशनल अवार्ड से सम्मानित की गयी विजेता
परिस्थितियां जैसी भी हो, प्रतिभा अपना रास्ता खुद तलाश लेती है, और जब नजर लक्ष्य पर हो, लक्ष्य साफ हो, तब सफलता का एक एक चरण, अपने मुकाम की ओर आगे बढ़ता ही जाता है । बिहार के सुदुर गांव पिपरी से, राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल के खेल में, अपनी प्रतिभा का जलवा बिखेरने वाली विजेता, अब अंतर राष्ट्रीय स्तर पर महिला फुटबॉलर के रूप में, भारत के विजय का परचम लहराने के लिए दिन रात एक किए हुए है,
बुनियादी सुविधा से दूर, ग्रामीण परिवेश में, पुरूषों के दबदवा वाले फुटबॉल के इस खेल में, बारहवीं की पढ़ाई कर रही मात्र पांच फुट की, इस छात्रा के फुटबॉल कैरियर में प्रशस्ति पत्र, एवं पदकों की ढ़ेर, इसकी प्रतिभा का कायल है,
भले ही गरीबी गुरबत और बुनियादी सुविधाओं के आभाव के बीच राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की ओर से फुटबॉल खेल रही विजेता को संर्घष ज्यादा करना पड़े , लेकिन अभाव में जो रास्ता तलाश ले उसी का नाम विजेता है ,
फुटबॉल के खेल से पहचान बनाने वाली विजेता, की माता जी, उषा देवी एक साधारण गृहिणी हैं, वहीं पेशे से शिक्षक, पिता कमलेश राय गांव के स्कूल में ही अध्यापन का कार्य करते हैं,
खेत खलिहान से निकल कर, स्कूल के छोटे से मैदान में, लोगो की ताना कसीं के बीच, लोगों की बातों की परवाह किए बिना खेलते रहना विजेता का जूनून बन गया, और जब जज्बा खेल का, जब दिन रात जूनून के साथ खेलने लगा । तब खेल की परीक्षा, और वर्ग की परीक्षा में, विजेता ने खेल को ही प्राथमिकता देने की राह चुनी, और फिर विजेता कदम नहीं रूके,
स्कूल के खेल मैदान से, प्रखण्ड स्तर, जिला स्तर, राज्य स्तर के बाद, आज राष्ट्रीय स्तर पर मिल रही पहचान ही, विजेता का सम्बल है, अगले चरण की तैयारी के लिए विजेता दिन रात एक किए हुय है,और लक्ष्य सिर्फ एक ही है, अंतर राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली खेल प्रतियोगिता में अपनी हिस्सेदारी सुदृढ़ करना ,
मुजफ्फरपुर की इस फ़ुटबॉल खिलाड़ी विजेता की पहचान के साथ, उसके गांव-जवार जिला और राज्य का नाम भी जुड़ने लगा, कामयाबी की ओर जब विजेता के कदम आगे बढ़ने लगे, तो आज ताना कसीं करने वाले लोग विजेता की इस उपलब्धि पर आज आंखें मींच रहे हैं ,
असम के गुवाहाटी में आयोजित राष्ट्रीय जूनियर महिला फुटबॉल खेल में दूसरे स्थान पर पार्टीसिपेट करने के लिए 29 अगस्त 2022 को नेशनल अवार्ड ‘राज्य खेल सम्मान’ से सम्मानित किया गया, इससे पूर्व 2020 में उड़ीसा के कटक में आयोजित नेशनल फुटबॉल चैम्पीयन शिप खेल चुकी विजेता को, 11 फरवरी 2021 को खेल में उत्कृष्ट योगदान के लिए बिहार खेल सम्मान से सम्मानित किया गया, स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन, की सदस्यता प्राप्त बिहार की इस प्रतिभावान खिलाड़ी के पास जिला एवं राज्य स्तर के इतने खेल पुरस्कार हैं की विजेता का बड़ा सूट केस भी अब छोटा पड़ने लगा है,
विजेता के फुटबॉल खेल का उज्जवल पक्ष, यह बड़ा सा सूट केस और इसमें रखा गया ढ़ेरो खेल प्रमाणपत्र है,जो इसके सतत मेहनत, जूनून और काबिलियत की ओर इशारा करते है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है, इसके पीछे सब कुछ छोड़कर खेलना ही एक मकसद है, कभी पटना, कभी आसाम, कभी आंध्र प्रदेश, तो कभी उड़ीसा, कभी मघ्यप्रदेश, मणिपुर, कभी हरियाणा, यह तो क्रम है, कभी खुद, कभी पापा, तो कभी भाई के साथ चल दिए, खेलना है तो जाना ही पड़ेगा, घर पर भाई सुधीर ही कोच बन जाते है, तो छोटी बहन रागिनी हर वक्त पानी और तौलिया लिए मैदान पर खड़ी रहती है, घर से बाहर तरूण प्रकाश, और जिला कोच असगर हुसैन के प्रशिक्षण का ही प्रताप है कि विजेता राष्ट्रीय स्तर पर खेल रही है,
गरीबी और गुरबत इसका एक स्याह पक्ष भी है, जो अमूमन बगल के पड़ोसी भी जान नहीं पाते हैं, बुनियादी सुविधाओं और आभाव के बीच, घर पर, घर का काम, फिर पढ़ाई के साथ खेल के अभ्यास के लिए समय निकालना, दिनचर्या का हिस्सा है,
खालिश देहात की जिन्दगी या यॅू कहें, आभाव की ये जिन्दगी, पर होठों पर शिकन नहीं, अभावों के बीच हर वक्त मुस्कुराहट,आंखों में आशा और उम्मीद की किरण, देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला फुटबॉलर के रूप में खेलने का सपना, विजेता के आंखों में झलकती है ।
विजेता के घर पर जो हमने देखा, वह सत्य यह है कि सामने दिख रहे तख्त पर रखा किताब,और उसके पढ़ने की जगह देखकर, हमें यह कहने की हिम्मत नहीं कि राष्ट्रीय स्तर पर खेल रही विजेता का यह रीडिंग रूम है, पर यह सच है कि विजेता खेल के साथ 65 प्रतिशत अंक के साथ दसवीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया है, सामने शयन कक्ष है, और सटे हुए किचेन में विजेता अपनी मां के साथ लकड़ी के चुल्हा पर चाय बनाने की तैयारी कर रही है,
परीक्षा सामने आने पर हर परीक्षार्थी सारा काम छोड़कर पढ़ाई में जुट जाता हैं, पर आज एमडीडीएम कॉलेज से विज्ञान विषय में बारहवीं की पढ़ाई कर रही विजेता ने एक बार फिर खेल और पढ़ाई में, खेल को ही चुना, एक फरवरी से आयोजित इन्टर की परीक्षा छोड़कर, खेलो इंडिया के लिए मघ्यप्रदेश गई, खेल के इस जूनुन को हम भी सलाम करते हैं,